New Year Message 2023
Time flows and the year passes by. The past proceeds to the future through the present. Life is a time continuum. Its linearity stretches up to infinity with loops and lines of circularity, like a stretched coil. Nothing grows by itself or ends by itself. The blueprint of everything including its dynamics is stored in the bosom of a mighty creative and dynamic force that is perceived as God by some. Through its long struggle, the human race has been able to comprehend a little about the nature and features of that all engulfing, omnipresent, and sovereign power.
‘Ah, the New Year has come’, we say, with wistful thinking and a hope for a better future when compared with the past. How strange that the calendar we follow and with which we begin a year so hopefully, is just a game of numbers written on the canvas of time. We want the inedible and painful markings of the previous year to somehow be wiped out of our memory, by the advent of a better year. The fact is that time continues, as an unending flow until we meet our nemesis due to our hubris.
What would be the better approach to a New Year? Wishing each other and merry making? Anything beyond this? The Saints' prescription is to look beyond ourselves, both in happiness and sorrow. The best way to celebrate could be merry making with the lonely and unlucky by giving them gifts, food, and even clothes for the winter. How strange that internally we feel pride for our good fortune as we compare ourselves with the destitute and the needy, but this does not generate empathy within us.
God and Guru need to be thanked on this day for giving us a life that is far better than the lives of most. Let’s visit those on this day, who need a smile so that they too can feel hopefulness as the year begins.
May Shri Sai bless us all for a better understanding of life.
Jai Shri Sai,
Dr. C. B. Satpathy
Gurugram
नबबर्ष सन्देश - २०२३
समय बहता रहता है और वर्ष बीत जाता है। अतीत, वर्तमान से होते हुए भविष्य की ओर बढ़ता रहता है। समय का सतत प्रवाह जीवन है। इसकी क्रमिकता एक खिंचे हुए स्प्रिंग की तरह वलयाकार रूप में अनंत तक विस्तृत है। कुछ भी स्वतः विकसित या समाप्त नहीं होता। एक अत्यंत शक्तिशाली, रचनात्मक एवं क्रियाशील शक्ति जिसे की कुछ लोगों ने ईश्वर के रूप में महसूस किया है, इस शक्ति के गर्भ में समस्त सृष्टि एवं उसके क्रियाकलापों का रेखाचित्र संग्रहीत होता है।सृष्टि को समेटे हुई इस सर्वव्यापी और सार्वभौम महाशक्ति की प्रकृति और गुण-विशेषताओं का केवल एक छुद्र अंश मात्र ही मानव सभ्यता अपने दीर्घ संघर्ष के बाद समझ पाई है।
‘आह, नया साल आ गया है ’, हम आकांक्षापूर्ण भाव से ऐसा कहते हैं, और साथ ही अतीत से बेहतर भविष्य की आशा भी करते हैं। यह कितने आश्चर्य की बात है की जिस कैलेंडर का पालन करते हुए और जिसके साथ हम एक नया साल इतनी आशा से प्रारम्भ करते हैं, वह मात्र काल के चित्र फलक पर लिखे गए अंकों का एक खेल है।हम चाहते हैं की कैसे भी हो, एक बेहतर वर्ष के आगमन से विगत वर्ष के अरुचिकर एवं दुखद अनुभवों की छाप हमारे स्मृति पटल से विस्मृत हो जाये। वास्तविकता तो यह है की समय तब तक एक अंतहीन धारा के रूप में प्रवाहित होता रहता है, जब तक कि हम अपनी अहंता के कारण नियति से समझौता नहीं कर पा रहे हैं।
एक नूतन वर्ष का बेहतर तरीका क्या हो सकता है? मौज मस्ती करते हुए एक दूसरे को शुभकामनाएं देना ? या इसके परे भी कुछ और? संतों की शिक्षा है कि सुखद और दुःखद दोनों ही परिस्थितियों में अपने से परे देखना। ऐसे अवसर पर जश्न मनाने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है - एकाकीन, निःसहाय और दुर्भाग्यग्रस्त लोगों को उपहार, भोजन या सर्दी से बचने के लिए गरम वस्त्र देते हुए उनके साथ आनंद मनाना । कितनी अजीब बात है कि दीन- दुखियों और जरूरतमंदों के साथ अपनी तुलना करते हुए हम मन ही मन अपने सौभाग्य पर गर्व करते हैं पर हमारे भीतर उनके लिए जरा सी भी संवेदना उत्पन्न नहीं होती।
आज के दिन हमें ईश्वर और गुरु को धन्यवाद् देना चाहिए कि उन्होंने हमें बहुतों के जीवन से कहीं बेहतर एक जीवन प्रदान किया है। आईये इस दिन हम उनसे मिले, जिन्हें एक मुस्कान की आवश्यकता है ताकि वे भी इस नूतन वर्ष के आरम्भ होने पर आशा का अनुभव कर सकें।
जीवन को हम बेहतर समझ सकें , श्री साईं हम सब पर ऐसी कृपा करें।
डॉ चन्द्रभानु सतपथी
गुरुग्राम
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